होशियारपुर/दलजीत अजनोहा
मानव में संग्रह , संचय करने की चेष्टा सबसे ज्यादा होती हैं। इस संग्रह , संचय करने की आदत या अनावश्यक वस्तुओं से लगाव कहीं कहीं भारी पड़ जाता हैं । घर में संचित या संग्रह किया हुआ कबाड़ नकारात्मक ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत माना गया है, कबाड़ से उत्पन्न होने वाली तरंगे, ऊर्जा हमारे मन मस्तिष्क पर सीधा नकारात्मक प्रभाव डालती हैं ऐसा मानना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवम लेखक डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का।
अगर किसी भी भवन में कबाड़ जैसे बंद पड़े इलेक्ट्रोनिक आईटम, लोहे के जंग लगे सरिए, सामग्री, टूटी खाट, बंद घड़ी, पुराना रद्दी, रेडियो, टी वी, बंद कंप्यूटर, फटी पुरानी पुस्तकें, टूटा आईना, बच्चों के खिलौने , बिना चाबी के ताले, बिना ताले की चाबी , झाड़ू, टूटे चप्पल या ऐसी कोई भी वस्तु जो वर्तमान में अनुपयोगी है। ईशान कोण में कबाड़ घर है तो इस कबाड़ के कारण व्यक्ति अपनी आने वाली पीढ़ी को लेकर, शिक्षा, चिकित्सा एवं अर्थ को लेकर विशेष दुविधा में रहेगा। यही कबाड़ पूर्व में एकत्रित हो जाता हैं तो, सरकार से परेशानियों के साथ आंखों की रोशनी की समस्या से जूझता रहेगा। आग्नेय कबाड़ की वजह से दूषित हो गया तो चोरी, कोर्ट कचहरी से जुड़ी समस्याओं का सामना करता नज़र आ सकता हैं। उतर दिशा में कबाड़ संग्रह हो गया तो महिला वर्ग को विशेष परेशानियों के साथ लक्ष्मी पलायन करने की प्रबल संभावना बन जाती हैं। पश्चिम में पड़ा कबाड़ किस्मत में रुकावटों के साथ यश कीर्ति को भी प्रभावित कर देता हैं।इसी तरह से अन्य सभी दिशाओं के प्रभाव अलग अलग हो सकते हैं। अगर भवन की छत या ब्रह्म स्थान में कबाड़ संग्रह कर दिया जाता है तो एक कहावत चरितार्थ हो जाती है कि_ "पढ़े फारसी बेचे तेल , ये देखो कुदरत का खेल"।।
Comments
Post a Comment