बहरापन रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) के अंतर्गत प्रशिक्षण का आयोजन कार्यक्रम का उद्देश्य श्रवण शक्ति की हानि, बहरेपन को रोकना और उसका उपचार करना है: डॉ. राजवंत कौर
होशियारपुर दलजीत अजनोहा
बधिरता रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) के तहत सिविल सर्जन होशियारपुर डॉ. पवन कुमार शगोत्रा के दिशा-निर्देशानुसार सिविल सर्जन कार्यालय में एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। एनपीपीसीडी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. राजवंत कौर के नेतृत्व में आयोजित इस प्रशिक्षण में जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञों, बाल रोग विशेषज्ञों और चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर डिप्टी मेडिकल कमिश्नर डॉ. हरबंस कौर और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जतिंदर भाटिया भी उपस्थित हुए।
प्रशिक्षण की शुरुआत करते हुए डॉ. राजवंत कौर ने कहा कि एनपीपीसीडी कार्यक्रम 2007 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य श्रवण हानि और बहरेपन को रोकना और उसका उपचार करना है। रोग या चोट के कारण होने वाली श्रवण हानि को रोकना, श्रवण हानि के कारण होने वाली कान की समस्याओं की पहचान, निदान और उपचार करना, सभी आयु के बधिर व्यक्तियों का पुनर्वास करना तथा श्रवण हानि वाले व्यक्तियों के लिए रेफरल प्रणाली उपलब्ध कराना आदि इस कार्यक्रम के उद्देश्य हैं।
इस दौरान डॉ. राजवंत कौर ने प्रसव पूर्व देखभाल जैसे गर्भावस्था के दौरान बच्चों में होने वाले संक्रमण, जन्मजात बीमारियां तथा बच्चों के कानों पर असर डालने वाली हानिकारक दवाओं जो कि बच्चों के कानों पर असर करती हैं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने नवजात शिशुओं की सुनने की क्षमता को प्रभावित करने वाली बीमारियों और जन्म के दौरान होने वाली जटिलताओं जैसे ऑक्सीजन की कमी या कम वजन वाले शिशुओं का जन्म या नवजात शिशु में पीलिया, जो सुनने की क्षमता को प्रभावित करते हैं, की रोकथाम के बारे में जानकारी साझा की।
उपरोक्त के अलावा, आम जनता के बीच कान की देखभाल और सुनने की क्षमता की सुरक्षा पर चार्ट के माध्यम से जानकारी साझा की गई। कार्यक्रम में बुजुर्गों और बच्चों में बहरेपन के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले श्रवण यंत्रों के बारे में भी बताया गया।
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