मां कैकेई को भरत के प्रिय थे राम, भगवान राम ने माता से खुद मांगा था वनवासः राजन जी महाराज



होशियारपुर/दलजीत अज्नोहा 
 श्री बड़े हुनमान जी सेवक संस्था होशियारपुर की तरफ से चेयरमैन व कथा आयोजक पूर्व मेयर शिव सूद एवं प्रधान राकेश सूरी की अगुवाई में करवाई जा रही श्री राम कथा के छठे दिन राजन जी महाराज ने भगवान राम को वनवास का आदेश दिए जाने और भरत को राज्याभिषेक दिए जाने की कथा बहुत ही मार्मिक व भावपूर्ण ढंग से सुनाई। इस दौरान उन्होंने कहा कि भगवान राम को माता कौशल्या से भी अधिक माता कैकेई प्यार करती थीं और वह उनका दर्शन किए बिना एक पल भी नहीं रह पाती थीं। लेकिन फिर भी आजतक माता को बुरा भला कहा जाता है। राजन जी ने बताया कि भगवान ने अपनी आगे की लीला को पूरा करने के लिए माता कैकेई से खुद वनवास मांगा था और भाई भरत के लिए राज्याभिषेक। लेकिन हम आजतक इसके लिए माता कैकेई को कोसते हैं, जो पूरी तरह से असत्य है। उन्होंने कहा कि माता कैकेई में भगवान के कहने पर ही राजा दशरथ से अपने दो वरदान मांगे, जिसमें उन्होंने पहले वरदान में भगवान राम के लिए 14 साल का वनवास मांगा और दूसरे में बेटे भरत के लिए राज्य। जिसे सुनकर राजा दशरथ के पारों तले से जमीन खिस्क गई और वह रानी के समक्ष ऐसा न करने की दुहाई देने लगे। लेकिन वरदान थे तो जो रानी ने मांगे राजा को उसे पूरा करना पड़ेगा। एक तरफ जहां पूरा राज्य भगवान राम के राज्याभिषेक की तैयारी में लगा था तो दूसरी तरफ जब उन्हें इस बात का पता चला कि राजा दशरथ ने अपना फैसला बदलते हुए उन्हें वनवास का आदेश दे दिया है तो वह मायूस हो गए और उनकी आश्रुधारा रुकने का नाम नहीं ले रही थी। पिता की आज्ञा से भगवान जब वनवास के लिए तैयार होने लगते हैं तो माता सीता एवं भाई लक्ष्मण भी उनके साथ जाने की जिद करते हैं। भगवान के समझाने पर भी जब वह नहीं समझते तो भगवान उन्हें साथ लेकर जाने को तैयार हो जाते हैं, क्योंकि आगे की लीला उन्हें के माध्यम से पूरी होगी। राजन जी ने वनवास की कथा में बताया कि जब भाई भरत को इस बात का पता चलता है तो वह उन्हें मनाने के लिए उनके पीछे वन  जाते हैं, लेकिन भगवान पिता की आज्ञा न चालने की बात कहते हुए वनवास काटने की बात कहते हैं। इस पर भरत अपने भाई की चरणपादुकाएं लेकर अयोध्या लौट आते हैं और प्रतिज्ञा करते हैं कि जब तक राजा राम यहां न लौट आएं, उनकी यह चरणपादुकाएं ही राज्य चलाएंगी। इसके बाद राजन जी ने निशादराज से मिलन एवं गंगा पार जाने के लिए केवट से सहायता मांगने का बहुत ही भक्तिमय प्रसंग सुनाया। उनके द्वारा गाए भजनों को सुनकर उपस्थित के नेत्र भर और हर कोई भक्त की शक्ति व भगवान का भाव का भूखे होने की कथा सुनकर गदगद हो गया। केवट और भगवान के बीच काफी देर प्रसंग चला तथा केवट ने भगवान से अपनी बात मनवा ली और भगवान के चरण धोकर चरणामृत ग्रहण किया तथा इसके माध्यम से उसने अपने परिवार और पितरों का भी उद्धार कर लिया। उन्होंने भजन जगत में कोई न परमानेंट एवं केवट पर भगवान राम की कृपा से संबंधित भजन सुनाकर उपस्थिति को भावविभोर कर दिया।

इस मौके पर महापुरुषों में स्नेहमयी मां स्नेह अमृतानंद जी भृगु शास्त्री, स्वामी शिवा भारती जी जालंधर तथा बाबा श्री अवतार नाथ जी चठियालियां वालों ने विशेष तौर से पहुंचकर आशीर्वाद दिया व कथा सुनी। इस मौके पर विधायक ब्रमशंकर जिम्पा, पूर्व मंत्री विजय सांपला, पूर्व मंत्री तीक्ष्ण सूद, मेयर सुरिंदर कुमार, सोनालीका के वाइस प्रेजीडेंट अतुल शर्मा, प्रमुख समाज सेवी रोहताश जैन, श्री शिवरात्रि एवं उत्सव कमेटी के प्रधान हरीश खोसला, श्री राम चरित मानस प्रचार मंडल के सचिव सुरेन्द्र ओहरी, राजेन्द्र मल्होत्रा व चेयरमैन कर्मजीत कौर ने विशेष रुप से पहुंचकर कथा श्रवण की और महाराज जी से सम्मान प्राप्त किया।

इस मौक पर मुख्य यजमान व्रिजेश चंद्र विजय व प्रभा रश्मि के अलावा दैनिक यजमानों में गौरव सिंह जोहरी व स्वाति मेहता, प्रो. मनोज कपूर व रीना कपूर, नवीन अग्रवाल व सपना अग्रवाल, अनिल महाजन व अनमोल महाजन, व्तपाल भारद्वाज व नीलम भारद्वाज, अश्वनी ओहरी व नीना ओहरी, शिवम ओहरी, अंशुल ओहरी, सुमित ओहरी व साक्षी ओहरी, हनुमंत पवार, सदाशिव, प्रवीण, स्वर्ण लता तथा अंकुश शर्मा ने पूजन किया और राजन जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवस र पर अन्य के अलावा संस्था की तरफ से महामंत्री प्रदीप हांडा, प्रचार सचिव अश्वनी शर्मा, कोषाध्यक्ष विपिन वालिया, प्रशांत कैंथ, कपिल हांडा, अनमोल सूद, गौरव शर्मा, शुभांकर शर्मा, अंकुश, सुशील पडियाल, अशोक सेठी, पं. दीपक शास्त्री, पंकज बेदी, मनी गोगिया, पंडित दर्शन लाल काका सहित अन्य सदस्यगण एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण की।

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