होशियारपुर /दलजीत अज्नोहा
श्री बड़े हुनमान जी सेवक संस्था होशियारपुर की तरफ से चेयरमैन व कथा आयोजक पूर्व मेयर शिव सूद एवं प्रधान राकेश सूरी की अगुवाई में करवाई जा रही श्री राम कथा के पांचवें दिन राजन जी महाराज ने भगवान राम अवतार की कथा को आगे बढ़ाते भगवान के विवाह महोत्सव की कथा सुनाई। इस दौरान उन्होंने बताया कि राजा जनक ने शिव धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने वाले के साथ बेटी सीता का विवाह करने शपथ ग्रहण की थी और उसी के चलते उन्होंने सीता स्वयंवर का आयोजन किया था। इस बात का पता चलते ही विश्व भर के राजा मिथिला पहुंचने लगे। उधर भगवान राम भी जब मिथिला पहुंचते हैं तो गुरु जी का आज्ञा लेकर वह पूजा के लिए पुष्प लेने जाते हैं। मिथिला में दोनों भाईयों के पहुंचने पर सारी नगरी मानों खिल सी उठती है और चारों और एक अलग ही आभा बिखर जाती है। दूसरी तरफ माता सीता भी पुष्प वाटिका में पुष्प लेने आती हैं और उसी दौरान माता सीता एवं भगवान राम एक दूसरे को देखते हैं। माता सीता मां पार्वती जी का पूजन करती हैं और मन ही मन भगवान राम को अपना वर स्वीकार करने का मनोरथ बताती हैं। इस पर मां पार्वती उन्हें मनचाहा वर मिलने का वरदान व आशीर्वाद प्रदान करती हैं। स्वयंवर के लिए दरबार सज जाता है और हजारों राजाओं द्वारा एक-एक करके धनुष उठाने का प्रयास किया जाता है। लेकिन धनुष उठाना तो दूर कोई उसे मात्र भर ही हिला नहीं पाया। इस पर राजा जनक को क्रोध आ जाता है और वह ललकार भरे स्वर में कहते हैं कि क्या इस धरा पर कोई वीर नहीं जो इस धनुष को उठा सके। इतना सुनते ही लक्ष्मण जी भगवान राम को प्रणाम करके उठते हैं और कहते हैं कि भईया अगर आपकी आज्ञा हो तो इस धनुष को तिनके की भांति उठाकर छिन-भिन कर दूं। लक्ष्मण का क्रोध देखकर दरबार में उपस्थित सभी राजा एवं खुद राजा जनक जी डर जाते हैं कि यह कौन बालक है जो इस प्रकार हुंकार भर रहा है। भगवान राम ने लक्ष्मण को अपने पास बुलाया और शांत करने की बात कही। इसी बीच गुरु जी ने भगवान राम को उठने का संकेत किया। भगवान राम जब धनुष के पास पहुंचे तो उन्होंने भगवान शिव का स्मरण करते हुए धनुष को प्रणाम किया। प्रणाम करने के बाद उन्होंने बहुत ही सहज भाव से धनुष को उठाया और प्रतयंचा चढ़ाने लगे। भगवान के ऐसा करते ही धरती डोलने लगी और जोरदार बिजली की कड़कड़ाहट हुई। जितनी देर बिजली चमकती है उतनी ही देर में भगवान उतनी धनुष को उठाते हैं और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने लगते हैं तो धनुष टूट जाता है। राजन जी महाराज ने बताया कि यह सारा कुछ इतनी जल्दी हुआ कि बिजली की चकाचौंध में वहां मौजूद राजा व अन्य इस दृश्य को ठीक से देख भी नहीं पाए। धनुष के टूटते ही माता सीता मन ही मन प्रसंन हो जाती हैं और देवगण भगवान की स्तुति करने लगते हैं। उन्होंने बताया कि धनुष टूटने के उपरांत भगवान परशुराम वहां पहुंचते हैं और अपने आराध्य शिव के धनुष को तोड़ने वाले को दंड देने की बात कहते हैं। इस पर भगवान राम ने उन्हें कहा कि प्रभु ऐसा तो आपका कोई दास ही कर सकता है। काफी देर चले संवाद के बाद भगवान परशुराम को भगवान राम में श्री हरि के दर्शन होते हैं और वह भगवान से क्षमा याचना करते हुए अपने स्थान को गमन करते हैं। कथा को आगे बढ़ाते हुए राजन जी महाराज ने भगवान के विवाह की कथा को हिन्दी व मिथिला भाषा में भजनों के माध्यम से बहुत ही आकर्षक ढंग से पूर्ण किया और श्रद्धालुओं ने नाच-नाच कर हाजिरी लगवाई। इस मौके पर महापुरुषों में स्नेहमयी मां स्नेह अमृतानंद जी भृगु शास्त्री एवं महंत 108 श्री उपेन्द्र पराशर जी महाराज गद्दी नशीन धर्मशाला महंता, हिमाचल प्रदेश वालों ने विशेष रुप से उपस्थित होकर कथा श्रवण की और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया।
इस मौक पर मुख्य यजमान व्रिजेश चंद्र विजय व प्रभा रश्मि के अलावा दैनिक यजमानों में कैप्टन दीपक शर्मा व हेमा शर्मा, अरुण महेन्द्रू, शिवानी महेन्द्रू व अर्जुन महेन्द्रू, प्रदीप हांडा व सुनीता हांडा, पुनीत सूद, एकता सूद, आश्विका सूद व राध्य सूद, शिव सूद व मधु सूद, संजय चौधरी, एकता चौधरी व साहिल चौधरी, पीयूष सूद, दिव्या सूद, एडवोकेट केएस डडवाल, आदित्य ठाकुर, यशपाल सैनी व रितिमा सैनी, सुभा। चावला व कविता चावला, रामपाल, अशोक सोढी, राघव अग्रवाल, गैतम अग्रवाल व नरेश अग्रवाल ने पूजन किया और महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर विशेष तौर से पहुंचे कमलजीत सेतिया, सुषमा सेतिया, साहिल सांपला, भारत भूषण वर्मा के अलावा श्री राम चरित मानस प्रचार मंडल के अध्यक्ष हरीश सैनी, लक्ष्मी नारायण, संस्था की तरफ से महामंत्री प्रदीप हांडा, प्रचार सचिव अश्वनी शर्मा, कोषाध्यक्ष विपिन वालिया, प्रशांत कैंथ, कपिल हांडा, अनमोल सूद, गौरव शर्मा, शुभांकर शर्मा, अंकुश, सुशील पडियाल, अशोक सेठी, पं. दीपक शास्त्री, पंकज बेदी, मनी गोगिया, पंडित दर्शन लाल काका सहित अन्य सदस्यगण एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण की।

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