होशियारपुर /दलजीत अजनोहा श्री राम लीला कमेटी की तरफ से करवाए जा रहे उत्तर भारत के दूसरे प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव के दौरान श्री राम लीला के मंचन में भगवान राम को पिता राजा दशरथ द्वारा वनवास दिए जाने की लीला का मंचन किया गया। इस दौरान दिखाया गया कि मंथरा द्वारा कैकेई को भड़काए जाने उपरांत उसने किस प्रकार राजा दशरथ से अपने दो वचन मांगे, जिसमें एक में उसने भगवान राम के लिए वनवास की मांग की और दूसरे वचन में भरत के लिए राज मांगा। यह सुनने के बाद राजा दशरथ कैकेई को समझाने लगते हैं कि वह ऐसा अनर्थ न करे, और उसे जो चाहिए वह देने के लिए तैयार हैं। लेकिन कैकेई अपनी बात से टस से मस नहीं होती। कैकेई के वचन सुनकर राजा दशरथ धरती पर गिर पड़ते हैं। अगले दिन जब भगवान राम का राज्याभिषेक होना होता है तो सारा अवध खुशियों में झूम रहा होता है, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चलता है कि राजा दशरथ ने भगवान को वनवास के आदेश दे दिया है तो खुशियां दुख एवं गम में बदल जाती हैं। भगवान पिता का आदेश सुनकर राजपाठ छोड़ वनवास के लिए तैयार होने लगते हैं तथा उनके मुख पर इसका जरा भी दुख नहीं था। वह सहज भाव से पिता का आदेश मान लेते हैं। श्री राम लीला के मंचन में इस दृश्य के मंचन उपरांत भगवान की आरती की गई और गणमान्यों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रधान गोपी चंद कपूर, चेयरमैन शिव सूद, प्रदीप हांडा, संजीव एैरी, राकेश सूरी, कमल वर्मा, हरीश आनंद, तरसेम मोदगिल, रमेश अग्रवाल, राजिंदर मोदगिल, अश्विनी छोटा, पवन शर्मा, विकास कौशल, दिनकर कपिला, कुणाल चतुरथ, वरुण कैंथ, कपिल हांडा, अजय जैन, शिव जैन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
होशियारपुर /दलजीत अजनोहा श्री राम लीला कमेटी की तरफ से करवाए जा रहे उत्तर भारत के दूसरे प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव के दौरान श्री राम लीला के मंचन में भगवान राम को पिता राजा दशरथ द्वारा वनवास दिए जाने की लीला का मंचन किया गया। इस दौरान दिखाया गया कि मंथरा द्वारा कैकेई को भड़काए जाने उपरांत उसने किस प्रकार राजा दशरथ से अपने दो वचन मांगे, जिसमें एक में उसने भगवान राम के लिए वनवास की मांग की और दूसरे वचन में भरत के लिए राज मांगा। यह सुनने के बाद राजा दशरथ कैकेई को समझाने लगते हैं कि वह ऐसा अनर्थ न करे, और उसे जो चाहिए वह देने के लिए तैयार हैं। लेकिन कैकेई अपनी बात से टस से मस नहीं होती। कैकेई के वचन सुनकर राजा दशरथ धरती पर गिर पड़ते हैं। अगले दिन जब भगवान राम का राज्याभिषेक होना होता है तो सारा अवध खुशियों में झूम रहा होता है, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चलता है कि राजा दशरथ ने भगवान को वनवास के आदेश दे दिया है तो खुशियां दुख एवं गम में बदल जाती हैं। भगवान पिता का आदेश सुनकर राजपाठ छोड़ वनवास के लिए तैयार होने लगते हैं तथा उनके मुख पर इसका जरा भी दुख नहीं था। वह सहज भाव से पिता का आदेश मान लेते हैं। श्री राम लीला के मंचन में इस दृश्य के मंचन उपरांत भगवान की आरती की गई और गणमान्यों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रधान गोपी चंद कपूर, चेयरमैन शिव सूद, प्रदीप हांडा, संजीव एैरी, राकेश सूरी, कमल वर्मा, हरीश आनंद, तरसेम मोदगिल, रमेश अग्रवाल, राजिंदर मोदगिल, अश्विनी छोटा, पवन शर्मा, विकास कौशल, दिनकर कपिला, कुणाल चतुरथ, वरुण कैंथ, कपिल हांडा, अजय जैन, शिव जैन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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