होशियारपुर/दलजीत अजनोहा
पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के कार्यान्वयन के साथ ही छात्रों पर अकादमिक बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि इस नीति का उद्देश्य समग्र और बहुविषयक शिक्षा प्रदान करना है, लेकिन इसके तहत अनिवार्य किए गए मल्टीडिसिप्लिनरी कोर्स (MDC), वैल्यू एडेड कोर्स (VAC) और स्किल एन्हांसमेंट कोर्स (SEC) जैसे नए विषयों ने विशेष रूप से परास्नातक छात्रों के लिए कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं।
ये अतिरिक्त कोर्स, भले ही अच्छे इरादों से शुरू किए गए हों, छात्रों के लिए लाभकारी के बजाय एक अतिरिक्त बोझ बन गए हैं। पहले से ही मुख्य विषयों में व्यस्त छात्र अब तीन और पेपरों की तैयारी करने के लिए मजबूर हैं, जो अक्सर उनके मुख्य विषयों से संबंधित भी नहीं होते। इसके चलते उनके प्रमुख विषयों के प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
इन वैकल्पिक विषयों में अंक प्रणाली के चलते छात्रों पर अच्छे अंक लाने का दबाव भी बढ़ गया है। एक बेहतर और छात्र हितैषी विकल्प यह हो सकता है कि MDC, VAC और SEC विषयों के लिए ग्रेडिंग प्रणाली (जैसे A, B, C) लागू की जाए। इससे छात्रों की भागीदारी बनी रहेगी और उन पर अतिरिक्त दबाव भी नहीं पड़ेगा।
शिक्षा का मुख्य उद्देश्य अर्थपूर्ण सीख और कौशल विकास होना चाहिए, न कि छात्रों को अनावश्यक मूल्यांकन से दबाव में लाना। प्रशासन से अनुरोध है कि इन वैकल्पिक विषयों की मूल्यांकन प्रणाली पर पुनर्विचार करें और इसे नई शिक्षा नीति की भावना के अनुरूप अधिक लचीला और छात्र-केंद्रित बनाएं।
ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने से छात्र अपने मुख्य विषयों पर बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर पाएंगे, जिससे उनके समग्र परिणाम सुधरेंगे और उनकी विषयगत योग्यता बनी रहेगी।
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