सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (ब्लॉक हारटा बडला) तनाव मुक्त जीवनशैली और स्वस्थ आहार स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकता है: डा.कृतिका
होशियारपुर/दलजीत अजनोहा
सिविल सर्जन होशियारपुर डॉ.पवन कुमार और सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ.मनप्रीत सिंह बैंस के दिशा-निर्देश के अनुसार आज सीएचसी हारटा बडला में "विश्व स्ट्रोक दिवस" मनाया गया जिस का उद्देश्य लोगों में स्ट्रोक प्रति जागरूकता पैदा करना तांकि शीघ्र जाँच और उपचार से इससे बचा जा सके।
स्ट्रोक के बारे में जानकारी साझा करते हुए डा.कृतिका ने कहा कि स्ट्रोक का संबंध दिमाग से होता है, जो तब होता है जब दिमाग के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह रुक जाता है और दिमाग की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। स्ट्रोक का प्रभाव दिमाग के क्षतिग्रस्त हिस्से और क्षति की सीमा पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक एक आपातकालीन स्थिति है ।स्ट्रोक के बाद पहले चार घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। इस काल को गोल्डन विंडो कहा जाता है। इस अवधि में यदि बीमारी के लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान लिया जाए और इलाज किया जाए तो प्रभावित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।
स्ट्रोक के लक्षणों में चेहरे के एक तरफ का झुकना, अस्पष्ट वाणी, पैर, हाथ या शरीर के किसी भी हिस्से में सुन्नता या अचानक काम करना बंद हो जाना शामिल है। उन्होंने कहा कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे से पीड़ित लोगों को स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। तनाव मुक्त स्वस्थ जीवनशैली और स्वस्थ आहार स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकता है।
प्रतिदिन व्यायाम , शराब और धूम्रपान से परहेज , नमक, चीनी और रिफाइंड तेल का उपयोग कम करने से और घर का बना स्वच्छ भोजन खाने से स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सकता है ।उन्होंने बताया कि भारत में हर एक मिनट में तीन लोग स्ट्रोक से प्रभावित हो जाते हैं और दुनिया में हर साल लगभग 15 मिलियन लोग स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं जो एक बड़ी संख्या है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक का इलाज संभव है, इसलिए लोगों को इसके बारे में जागरूक करना जरूरी है ताकि लोगों को इस बीमारी के बारे में पता चले और वे समय पर इलाज करा सकें। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा सभी जिला अस्पतालों के अलावा मेडिकल कॉलेज पटियाला, फरीदकोट और अमृतसर में स्ट्रोक प्रबंधन सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।
सिविल सर्जन होशियारपुर डॉ.पवन कुमार और सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ.मनप्रीत सिंह बैंस के दिशा-निर्देश के अनुसार आज सीएचसी हारटा बडला में "विश्व स्ट्रोक दिवस" मनाया गया जिस का उद्देश्य लोगों में स्ट्रोक प्रति जागरूकता पैदा करना तांकि शीघ्र जाँच और उपचार से इससे बचा जा सके।
स्ट्रोक के बारे में जानकारी साझा करते हुए डा.कृतिका ने कहा कि स्ट्रोक का संबंध दिमाग से होता है, जो तब होता है जब दिमाग के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह रुक जाता है और दिमाग की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। स्ट्रोक का प्रभाव दिमाग के क्षतिग्रस्त हिस्से और क्षति की सीमा पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक एक आपातकालीन स्थिति है ।स्ट्रोक के बाद पहले चार घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। इस काल को गोल्डन विंडो कहा जाता है। इस अवधि में यदि बीमारी के लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान लिया जाए और इलाज किया जाए तो प्रभावित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।
स्ट्रोक के लक्षणों में चेहरे के एक तरफ का झुकना, अस्पष्ट वाणी, पैर, हाथ या शरीर के किसी भी हिस्से में सुन्नता या अचानक काम करना बंद हो जाना शामिल है। उन्होंने कहा कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे से पीड़ित लोगों को स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। तनाव मुक्त स्वस्थ जीवनशैली और स्वस्थ आहार स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकता है।
प्रतिदिन व्यायाम , शराब और धूम्रपान से परहेज , नमक, चीनी और रिफाइंड तेल का उपयोग कम करने से और घर का बना स्वच्छ भोजन खाने से स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सकता है ।उन्होंने बताया कि भारत में हर एक मिनट में तीन लोग स्ट्रोक से प्रभावित हो जाते हैं और दुनिया में हर साल लगभग 15 मिलियन लोग स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं जो एक बड़ी संख्या है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक का इलाज संभव है, इसलिए लोगों को इसके बारे में जागरूक करना जरूरी है ताकि लोगों को इस बीमारी के बारे में पता चले और वे समय पर इलाज करा सकें। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा सभी जिला अस्पतालों के अलावा मेडिकल कॉलेज पटियाला, फरीदकोट और अमृतसर में स्ट्रोक प्रबंधन सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।
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