स्ट्रोक का इलाज संभव है, इसलिए लोगों का इसके प्रति जागरूक रहना जरूरी: सिविल सर्जन डॉ. पवन कुमार शगोत्रा

 होशियारपुर /दलजीत अजनोहा
विश्व स्ट्रोक दिवस आज सिविल सर्जन होशियारपुर डाॅ. पवन कुमार शगोत्रा ​​द्वारा इस वर्ष की थीम 'ग्रेटर दैन स्ट्रोक, एक्टिव चैलेंज' के तहत सिविल सर्जन कार्यालय में मनाया गया ताकि जागरूकता, शीघ्र निदान और त्वरित उपचार के माध्यम से इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सके। इस अवसर पर उनके साथ जिला परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. अनीता कटारिया, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. सीमा गर्ग, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जतिंदर भाटिया, सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. स्वाति शिमर, सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. मनमोहन सिंह और डिप्टी मास मीडिया अधिकारी रमनदीप कौर उपस्थित थे।
इसकी जानकारी साझा करते हुए सिविल सर्जन डाॅ. पवन कुमार शगोत्रा ​​ने कहा कि स्ट्रोक के बारे में जागरूकता पैदा करने और स्ट्रोक की रोकथाम और पुनर्वास पर कार्रवाई को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में हर साल करीब 1.5 करोड़ लोग स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं। भारत में हर मिनट लगभग 3 लोगों को स्ट्रोक होता है। ये बहुत बड़ा आंकड़ा है। स्ट्रोक का इलाज संभव है, इसलिए लोगों को इसके बारे में जागरूक करना जरूरी है ताकि लोगों को इस बीमारी के बारे में पता चले और उन्हें समय पर इलाज मिल सके।
उन्होंने कहा कि स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह रुक जाता है। जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। स्ट्रोक का प्रभाव मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त हिस्से और क्षति की सीमा पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक एक आपातकालीन स्थिति है। स्ट्रोक के बाद पहले चार घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय को विंडो पीरियड कहा जाता है। इस अवधि में यदि बीमारी के लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान लिया जाए और इलाज किया जाए तो प्रभावित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। स्ट्रोक के लक्षणों में चेहरे का एक तरफ टेढाहो जाना, अस्पष्ट भाषा, पैर, हाथ या शरीर के किसी अन्य हिस्से में सुन्नता या अचानक काम करना बंद हो जाना शामिल है।
डॉ. पवन ने कहा कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे से पीड़ित लोगों को स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। तनाव मुक्त स्वस्थ जीवनशैली और स्वस्थ आहार स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकता है। रोजाना व्यायाम करने, शराब और धूम्रपान से परहेज करने, नमक, चीनी और रिफाइंड तेलों का सेवन कम करने और दैनिक आहार में आटा, दालें, मौसमी फल और सब्जियां सहित घर का बना साफ भोजन शामिल करके कोई भी स्वस्थ रह सकता है।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार सभी जिला अस्पतालों के अलावा मेडिकल कॉलेजों, पटियाला, फरीदकोट और अमृतसर में स्ट्रोक प्रबंधन सेवाएं प्रदान कर रही है और टोल फ्री नंबर 108 और 104 की सेवाओं को भी स्ट्रोक प्रबंधन के साथ जोड़ा गया है।


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