होशियारपुर/दलजीत अजनोहा
डिप्टी कमिश्नर कोमल मित्तल ने कहा कि किसानों के लिए सही उर्वरकों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है ताकि फसल की उच्च पैदावार सुनिश्चित हो सके और मिट्टी की सेहत भी बरकरार रहे। उन्होंने बताया कि खरीफ सीजन के दौरान गेहूं की बुवाई के लिए औसतन प्रति एकड़ 55 किलो डी.ए.पी. का उपयोग होता है। डी.ए.पी. के अन्य विकल्पों जैसे एनपीके 12:32:16, सिंगल सुपर फॉस्फेट, एनपीके 16:16:16, और एनपीके 20:20:0:13 के उपयोग से किसान फसलों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकते हैं और मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रख सकते हैं।
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि इस उर्वरक में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित मिश्रण है, जो विशेष रूप से फसल के शुरुआती विकास और फूल आने के समय लाभकारी होता है। डी.ए.पी. के स्थान पर यह विकल्प पौधों को आवश्यक पोषक तत्व देता है और मिट्टी की सेहत को कायम रखता है। इस उर्वरक में 16% फॉस्फोरस होता है, जो धीरे-धीरे घुलता है और पौधों के लिए पोषण का स्रोत बनता है। इसके साथ ही इसमें सल्फर भी होता है, जो पौधों की पोषण क्षमता को बढ़ाता है।
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि इस उर्वरक में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की 16% मात्रा होती है, जो पौधों को सम्पूर्ण पोषण प्रदान करती है और उनकी जड़ों, तनों, और फलों के विकास में सहायक होती है। डी.ए.पी. की जगह, एनपीके 16:16:16 एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह तीनों प्रमुख पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। इस उर्वरक में 20% नाइट्रोजन, 20% फॉस्फोरस और 13% सल्फर होता है। यह उर्वरक उन खेतों के लिए उपयुक्त है जहां नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की अधिक आवश्यकता होती है। इसमें सल्फर की मौजूदगी पौधों के पोषण में सुधार करती है और इसे विशेष रूप से मिट्टी में सल्फर की कमी को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसान इन उर्वरकों का उपयोग कर खेती की लागत कम कर सकते हैं और अपनी मिट्टी में संतुलित पोषक तत्वों की आपूर्ति कर सकते हैं।
डिप्टी कमिश्नर कोमल मित्तल ने कहा कि किसानों के लिए सही उर्वरकों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है ताकि फसल की उच्च पैदावार सुनिश्चित हो सके और मिट्टी की सेहत भी बरकरार रहे। उन्होंने बताया कि खरीफ सीजन के दौरान गेहूं की बुवाई के लिए औसतन प्रति एकड़ 55 किलो डी.ए.पी. का उपयोग होता है। डी.ए.पी. के अन्य विकल्पों जैसे एनपीके 12:32:16, सिंगल सुपर फॉस्फेट, एनपीके 16:16:16, और एनपीके 20:20:0:13 के उपयोग से किसान फसलों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकते हैं और मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रख सकते हैं।
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि इस उर्वरक में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित मिश्रण है, जो विशेष रूप से फसल के शुरुआती विकास और फूल आने के समय लाभकारी होता है। डी.ए.पी. के स्थान पर यह विकल्प पौधों को आवश्यक पोषक तत्व देता है और मिट्टी की सेहत को कायम रखता है। इस उर्वरक में 16% फॉस्फोरस होता है, जो धीरे-धीरे घुलता है और पौधों के लिए पोषण का स्रोत बनता है। इसके साथ ही इसमें सल्फर भी होता है, जो पौधों की पोषण क्षमता को बढ़ाता है।
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि इस उर्वरक में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की 16% मात्रा होती है, जो पौधों को सम्पूर्ण पोषण प्रदान करती है और उनकी जड़ों, तनों, और फलों के विकास में सहायक होती है। डी.ए.पी. की जगह, एनपीके 16:16:16 एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह तीनों प्रमुख पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। इस उर्वरक में 20% नाइट्रोजन, 20% फॉस्फोरस और 13% सल्फर होता है। यह उर्वरक उन खेतों के लिए उपयुक्त है जहां नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की अधिक आवश्यकता होती है। इसमें सल्फर की मौजूदगी पौधों के पोषण में सुधार करती है और इसे विशेष रूप से मिट्टी में सल्फर की कमी को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसान इन उर्वरकों का उपयोग कर खेती की लागत कम कर सकते हैं और अपनी मिट्टी में संतुलित पोषक तत्वों की आपूर्ति कर सकते हैं।
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